आओ आप सबको हम एक भक्त और भगवान की अनोखी नोक झोक की कहानी सुनाते है –
एक बार की बात है | एक अयोध्यावासी राम भक्त वृन्दावन घुमने के लिए आया | वहां उसकी एक कृष्ण भक्त से मुलाकात हुयी | वो कृष्ण भक्त राधे कृष्ण नाम जप रहा था | और वो अयोध्या वासी राम भक्त था , वो राम राम रट रहा था | राम भक्त ने , तभी कृष्ण भक्त को छेड़ते हुए कहा की तुम इस टेढ़े भगवान का नाम क्यों जप रहे हो | ये तो बहुत टेढ़े है | इनके तो सारे काम ही टेढ़े है | हमारे राम जी तो एक दम सीधे है और सच्चे है | तुम क्यों नहीं राम – राम जपते हो |
ये सब सुनकर कृष्ण भक्त को बहुत गुस्सा आ जाता है | और वो कृष्ण भक्त कहता है की नहीं ऐसा नहीं है ये तो बहुत सीधे और सच्चे है | ये तो सबके पालन हार है |
तभी राम भक्त कहता है कोन कहता है की ये सीधे है | ये तो टेढ़े है |
तभी दोनों भक्तों में इसी बात को लेकर नोक – झोक होने लगती है |
राम भक्त कहता है- की ये कहा से सीधे है | इनका नाम टेढ़ा , इनके काम टेढ़े सब कुछ टेढ़ा है टेढ़ा | अब तुम ही बताओ ये नहाती हुयी गोपियों के वस्त्र चुरा लेते है , ये सबके घरों से माखन चुरा कर खाते है और अपनी भोली – भली माँ को अपने मुह में पूरा ब्रह्माण्ड दिखा देते है | अब तुम ही बताओ ये सब काम क्या सीधे व्यक्ति के होते है | तभी तो सब कहते है की ये बहुत ही टेढ़े भगवान् है |
ये शब्द सुनकर कृष्ण भक्त के पास कोई जवाब नहीं होता और वो अपने बांके बिहारी के मंदिर में जाकर बांके बिहारी के साथ क्रोध में बात करते हुये कहते है की है भगवान् ! तुमने तो सब जगह हमारी भी बेज्जती करा रखी है | सब तुम्हे टेढ़ा – टेढ़ा कहकर पुकारते है | तुमने कुछ अच्छा किया भी है | तुम सच में ही टेढ़े हो | मुझे आपसे बात नहीं करनी और मै ये सब त्यागकर अयोध्या जा रहा हूँ | और राम नाम जपूंगा और वही रहूँगा और उनकी सेवा करूंगा | राम जी तो बहुत ही सीधे और सच्चे है | ये लो अपनी डंडी , बांसुरी , जामा मुझे नहीं रहना आपके पास मै तो चला अयोध्या |
ये कहकर वो कृष्ण भक्त वहाँ से चला जाता है | तभी भगवन कृष्ण भी उनके पीछे – पीछे चल देते है | पर अपने भक्त को देख कर मुस्कुराते हुए मीठे स्वर में कहते है की तुम मुझे गलत समझ रहे हो | कृष्ण भगवान् उस भक्त को बहुत समझाने का प्रयास करते है और कहते है की ठीक है | मै आज से कोई टेढा काम नहीं करूँगा क्यूंकि तुम मेरे प्रिय और सच्चे भक्त हो | लेकिन वो भक्त उनकी कोई बात नहीं सुनता और आगे चलता जाता है | श्री कृष्ण भी उनके पीछे – पीछे चलते जाते है |तभी कुछ दूर चलने के बाद वो कृष्ण भक्त थक जाता है |
तभी मार्ग में उन्हें एक मंदिर दिखाई पढता है | वो कृष्ण भक्त मंदिर में बैठ जाता है | कृष्ण भगवान् भी वही मंदिर मे उसके साथ बैठ जाते है और विश्राम करते है | तभी कृष्ण भगवान् की निगाह मंदिर में जल रहे दिए पर पड़ती है वो दिया बुझने वाला था और उस दिए का घी ख़तम हो गया था |तभी भगवान् उस दिए के पास जाते है | दिए के पास रखे घी के डिब्बे से घी निकालने की कोशिश करते है | कृष्ण भक्त ये सब चुपचाप देख रहा था | कृष्ण भक्त देखता है की भगवान कृष्ण अपनी सीधी उंगली से घी निकालने की कोशिश कर रहे है | पर घी निकल नहीं रहा है | ये सब देखकर कृष्ण भक्त को गुस्सा आता है और वो बोल पड़ता है की | हे भगवन ! आप ये क्या कर रहे है आप को कोई सुध नहीं है सीधी ऊँगली से कभी कोई घी निकालता है क्या | आपको तो ये भी मालूम नहीं की घी हमेशा टेढ़ी ऊँगली से ही निकलता है | जाने आप केसे इस संसार के पालनहार बनोगे |
तभी ये सब सुनकर भगवान् अपने भक्त से मुस्कुराते हुए कहते है की मै तो कब से तुम्हे ये ही बात समझाना चाहता हूँ की इस संसार में इतने पाप बढ़ गये है की धरती पर इन पापों का विनाश करने के लिए मुझे टेढ़ा बनाना पड़ता है | इसीलिए सब मुझे टेढ़ा कहते है |
और मैंने घी को सीधी ऊँगली से इसलिए निकाला की मैंने तुमसे वादा किया था की अब मै कोई भी टेढ़ा काम नहीं करूँगा |ये सब मैंने अपने सच्चे भक्त के लिए किया है |
भगवान् कृष्ण की ये सब बातें सुनकर वो भक्त हैरान हो जाता है और मन ही मन अपनी भूल पर पछताता है | वो कृष्ण से छमा मांगता है और उसे सब समझ आ जाता है | तब वो फिर से अपने बांके बिहारी के मंदिर जाता है और राधे कृष्ण जपते हुए सच्चे मन से उनकी सेवा करता है |