Hindu Nav varsh
Vikram samvat 2077
चन्द्रमा- हमारी आत्मा लाभ-हानि से परे है। वैसे ही जैसे चंद्रमा के घटने या बढ़ने से उसकी चमक और शीतलता नहीं बदलती, हमेशा एक जैसी रहती है, वैसे आत्मा भी किसी प्रकार के लाभ-हानि से बदलती नहीं है।
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कबूतर- दत्त भगवान ने यह भी जाना कि जब कबूतर का जोड़ा जाल में फंसे अपने बच्चों को देखकर खुद भी जाल में जा फंसता है, तो इससे यह सबक लिया जा सकता है कि किसी से बहुत ज्यादा स्नेह दु:ख की वजह बनता है। |
मधुमक्खी- जब मधुमक्खियां शहद इकट्ठा करती हैं और एक दिन छत्ते से शहद निकालने वाला आकर सारा शहद ले जाता है, तो हमें इस बात से यह सीखना चाहिए कि आवश्यकता से अधिक चीजों को एकत्र करके नहीं रखना चाहिए। |
भौंरा- भगवान दत्तात्रेय ने भौंरे से सीखा कि जहां भी सार्थक बात सीखने को मिले, उसे तत्काल ग्रहण कर लेना चाहिए। जिस प्रकार भौंरे अलग-अलग फूलों से पराग ले लेता है। |
भृंगी कीड़ा- दत्तात्रेय ने इस कीड़े से सीखा कि अच्छी हो या बुरी, हम जहां जैसी सोच में अपना मन लगाएंगे, मन वैसा ही हो जाता है। |
सांप- भगवान दत्तात्रेय ने सांप से सीखा कि किसी भी संन्यासी को अकेले ही जीवन व्यतीत करना चाहिए। कभी भी एक ही स्थान पर न रुकते हुए जगह-जगह जाकर ज्ञान बांटते रहना चाहिए। |
समुद्र- जैसे समुद्र के पानी की लहर निरंतर गतिशील रहती है, वैसे ही जीवन के उतार-चढ़ाव में हमें भी खुश और गतिशील रहना चाहिए।
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जल- भगवान दत्तात्रेय ने जल से सीखा कि हमें सदैव पवित्र रहना चाहिए।
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आकाश- भगवान दत्तात्रेय ने आकाश से सीखा कि हर देश, परिस्थिति तथा काल में लगाव से दूर रहना चाहिए। |
आग- दत्तात्रेयजी ने आग से सीखा कि जीवन में कैसे भी हालात हो, हमारा उन हालातों में ढल जाना ही उचित है |
अजगर- भगवान दत्तात्रेय ने अजगर से सीखा कि हमें जीवन में संतोषी बनना चाहिए और जो मिल जाए, उसे खुशी-खुशी स्वीकार कर लेना ही हमारा धर्म होना चाहिए। |
हाथी- जैसे कोई हाथी हथिनी के संपर्क में आते ही उसके प्रति आसक्त हो जाता है, अत: हाथी से सीखा जा सकता है कि तपस्वी पुरुष और संन्यासी को स्त्री से बहुत दूर रहना चाहिए। |
बालक- जैसे छोटे बच्चे हमेशा चिंतामुक्त और प्रसन्न दिखाई देते हैं, वैसे ही हमें भी हमेशा चिंतामुक्त और प्रसन्न रहना चाहिए। |
Chaitra Shukla pratipada Hindu Nav varsh Vikram samvat 2077